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Friday, October 22, 2010

Swarvigyan

स्वर विज्ञान


आईने में क्या कभी आपने अपनी नाक को ध्यान से देखा है? अगर हाँ, तो बताइए हमारे जीवन में नाक की क्या उपयोगिता है? इस प्रश्न का उत्तर देने के बाद ही आगे पढ़ें। यदि आपका उत्तर भी यही है कि नाक हमारी प्रमुख ज्ञानेन्द्रिय है, इसके द्वारा हम गंध की पहचान एवं आवश्यक प्राणवायु ग्रहण करते हैं, तो आज तक आप भी एक महत्वपूर्ण एवं लाभदायक विज्ञान से अनभिज्ञ हैं।

इसके विपरीत यदि आपके उत्तर में स्वर-विज्ञान या स्वरोदय विज्ञान का भी उल्लेख है, तो निश्चित ही आप भाग्यवान हैं एवं ईश्वर के कृपापात्र हैं, क्योंकि स्वर विज्ञान को जानने वाला कभी भी विपरीत परिस्थितियों में नहीं फँसता और फँस भी जाए तो आसानी से विपरीत परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाकर बाहर निकल जाता है।

प्राण वायु मनुष्य के शरीर में श्वास लेने पर नासिका के से प्रवेश करतीमाध्यम है। नासिका में दो छिद्र होते हैं, जो बीच में एक पतली हड्डी के कारण एक दूसरे से अलग रहते हैं। मनुष्य कभी दाहिने छिद्र से और कभी बाँएँ छिद्र से श्वास लेता है। दाहिने छिद्र से श्वास लेते समय “दाहिना स्वर” तथा बाँएँ छिद्र से श्वास लेते समय “बाँयाँ स्वर” चलता है। अर्थात् श्वास-प्रश्वास की गति जिस नासिका छिद्र से प्रतीत हो, उस समय वही स्वर चलता समझें। यदि दोनों नासिका-छिद्रों से समान रुप से निःश्वास होता हो, तो उसे “मध्य स्वर” कहते हैं। यह स्वर प्रायः उस समय चलता है, जब स्वर परिवर्तन होने को होता है।
वस्तुतः नासिका के भीतर से जो श्वास निकलती है, उसी का नाम “स्वर” है। जब दाहिना स्वर चलता हो तो, सूर्य का उदय जानना चाहिए। इसीलिए दाहिने स्वर को “सूर्य स्वर” भी कहते है तथा बाँएँ स्वर को “चन्द्र स्वर”।
स्वर का सम्बन्ध नाड़ियों से है। यद्यपि शरीर में ७२,००० नाड़ियाँ हैं तथापि इनमें से २४ प्रधान है और इन २४ में से १० अति प्रधान तथा इन १० में से भी ३ नाड़ियाँ अतिशय प्रधान मानी गई है, जिनके नाम इड़ा, पिंगला तथा सुषम्णा है।
शरीर में मेरु-दण्ड के दक्षिण (दाहिने) दिशा की तरफ पिंगला (सूर्य) नाड़ी, वाम (बाँईं) तरफ इड़ा (चन्द्र) नाड़ी तथा दोनों के मध्य सुषम्णा नाड़ी है। सुषम्णा नाड़ी के प्रकाश से दोनों नथुनों से स्वर चलता है।


दाहिना-स्वर बायाँ-स्वर मध्य-स्वर
ग्रह सूर्य चन्द्र राहु
नाड़ी पिंगला इड़ा सुषुम्णा
प्रकृति उग्र सौम्य मिश्रित
धातु पित्त कफ वायु
लिंग पुरुष स्त्री नपुंसक
देवता शिव शक्ति अर्द्ध-नारीश्वर
वर्ण कृष्ण गौर मिश्रित या धूम्र
काल दिवस रात्रि सन्ध्या
प्रबल तत्त्व अग्नि, वायु जल पृथ्वी आकाश
संज्ञा चर स्थिर द्वि-स्वभाव
वार रवि, मंगल सोम, बुध बुध (या गुरु)
पक्ष कृष्ण शुक्ल

Thursday, October 21, 2010

mantra vigyan

शान्ति मन्त्र(For peace and prosperity)
ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति: पृथिवी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: । वनस्पतये: शान्तिर्विश्वे देवा: शाकंन्तिर्ब्रह्म शान्ति: सर्वँ शान्ति: शान्तिरेव शान्ति: सा मा शान्तिरेधि ॥ ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥


कं
मृत्यु के भय का नाश, त्वचारोग व रक्त विकृति में।
Relieves one from the fear of death; is useful in skin diseases and blood disorders

ह्रीं

मधुमेह, हृदय की धड़कन में।

Is beneficial in diabetes mellitus and palpitation.


घं
स्वपनदोष व प्रदररोग में।

Helps in nocturnal emissions and leucorrhoea.

भं
बुखार दूर करने के लिए।
Relief from fever.
.....
क्लीं
पागलपन में।
Is useful in mental disorders.
.....
सं
बवासीर मिटाने के लिए।
- Cures piles.
.....
वं
भूख-प्यास रोकने के लिए।
Prevents hunger and thirst.
.....
लं
थकान दूर करने के लिए।
Relieves fatigue and exhaustion

.....
To marry to good husband
jai jai girivar raaj kishori, jai mahesh mukh chandra chakori
....
Tulsi Mantra
mahaprasad janani sarvasaubhagyavadhini
aadhi vyaadhi jara muktam tulsi tvaam namostute
.....

Brahmcharya Raksha Mantra
|Om Aryamaayai Namah |
Japa this mantra whenever anti-brahmcharya thoughts comes in mind, Do
japa for 21 times before going to sleep to avoid wet dreams.


Health Protection Mantra
| Om hansam hansaha|
.....

*Aids & Cancer* * Disease Hindu Mantra *
1 Aids Om Ramaya Namaha
2 Cancer Om Krishnaya Namaha
a) Tongue Cancer :Om Krishna-Viththalaya Namaha
b) Lung Cancer : Om Narayani-Krishnaya Namaha
c) Throat Cancer :Om Mahesh-Krishnaya Namaha
d) Chest Cancer :Om Shankara-Krishnaya Namaha
e) Liver Cancer :Om Narayani-Krishnaya Namaha
f) Blood Cancer :Om Shrikant-Krishnaya Namaha
g) Breast Cancer :Om Narayani-Krishnaya Namaha
h) Bone Cancer :Om Krishna-Krishnaya Namaha
i) Prostate Cancer :Om Shriram-Narayan-Krishnaya Namaha

Wednesday, October 20, 2010

Revaels the truths of sprituality and self realisation

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